लखनऊ। जाति आधारित गणना में पिछड़ों और अति पिछड़ों को लेकर मचे घमासान के बाद भाजपा दलित वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाने की तैयारी कर रही है। बस्ती संपर्क अभियान के बाद भाजपा प्रदेश के सभी छह सांगठनिक क्षेत्रों में अगले एक माह के दौरान वृहद स्तर पर दलित सम्मेलन आयोजित करने की तैयारी में जुट गई है। इन सम्मेलनों के माध्यम से भाजपा समाज के सर्वाधिक वंचित वर्ग से ताल्लुक रखने वाले दलितों को यह बताएगी कि वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद उनके जीवन में क्या सकारात्मक बदलाव आए हैं। इसके केंद्र में मोदी व योगी सरकारों की वे योजनाएं होंगी जिनका दलित समुदाय को बड़े पैमाने पर लाभ मिला है।
भाजपा का बसपा पर निशान
गैर जाटव दलित वोटों पर आंखें गड़ाए भाजपा सम्मेलन के मंच से दलितों की हिमायत करने वाली बसपा पर भी हमले करेगी। यह बताकर कि बसपा ने अनुसूचित जाति को केवल वोट बैंक के तौर पर माना और इस्तेमाल किया। भाजपा का जोर दलितों को यह संदेश देने पर भी होगा कि बाबा साहेब डॉ.भीमराव आंबेडकर के जीवित रहते कांग्रेस ने उनके साथ न्याय नहीं किया।
दलितों के साथ अगड़ी जातियों पर भी फोकस
बिहार में जाति आधारित गणना के नतीजे सार्वजनिक होने के बाद जिस तरह से विरोधी दल इसकी मांग को लेकर आक्रामक हुए हैं, ऐसे में भाजपा की रणनीति दलित सम्मेलनों के जरिये दलितों और अगड़ी जातियों के बीच सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना भी होगा। अपनी ताकत का अहसास कराने के लिए भाजपा प्रत्येक दलित सम्मेलन में एक से डेढ़ लाख की भीड़ जुटाने की तैयारी कर रही है। राज्य सरकार के मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को खासतौर पर इस काम की जिम्मेदारी सौंपी है।
भाजपा के सम्मेलन की तैयारी
पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि कानपुर क्षेत्र में 25 अक्टूबर को सम्मेलन आयोजित करने की तैयारी की जा रही है। तीन स्थानों पर विचार किया जा रहा है-कानपुर, उरई और औरैया। आयोजन की अधिक संभावना कानपुर में ही है। ब्रज क्षेत्र में 19 अक्टूबर को सम्मेलन आयोजित करने का इरादा है। अलीगढ़, आगरा और बदायूं में से किसी एक जगह को चुना जा सकता है। अलीगढ़ में सम्मेलन होने की संभावना है। अवध क्षेत्र में दो नवंबर को लखनऊ तथा काशी क्षेत्र में 27 अक्टूबर को वाराणसी में दलित सम्मेलन आयोजित होंगे।