बठिंडा। तलवंडी साबो से चार बार विधायक रहे जीत महिंदर सिंह सिद्धू ने शिरोमणि अकाली दल की तरफ से निलंबित करने एक दिन बाद पार्टी को अलविदा कह दिया। अब उनके दोबारा कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की चर्चा है। हालांकि सिद्धू ने अभी तक कोई संकेत नहीं दिया है कि वह किस पार्टी में जाएंगे, मगर इतना जरूर कहा कि अभी उनको नोटिस भी नहीं मिला, जो भी पता लगा है वह सारा कुछ इंटरनेट मीडिया से पता लगा है।
प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद से पार्टी हुई दिशाहीन
पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल से पूछते हैं कि उनको बिना किसी कारण पार्टी से क्यों निलंबित गया? मैं वही हूं, जिसको कहते थे कि हरसिमरत कौर बादल को चुनाव जीतने के लिए आपको अकाली दल में होने की जरूरत है, क्योंकि मनप्रीत सिंह बादल सामने हैं।
उन्होंने कहा कि सुखबीर बादल सोचते हैं कि कारण बताओं नोटिस देकर मैं तेरे दर पर आऊंगा, लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि मैं कभी नहीं आऊंगा। उन्होंने कहा कि जब से प्रकाश सिंह बादल का निधन हुआ है, तब से पार्टी दिशाहीन हो गई है। उन्होंने कहा कि लगभग 26-27 वर्षों से क्षेत्र की सेवा कर रहा हूं, कम से कम एक बार फोन करके पूछ तो लेते। उन्होंने कहा कि एक भी ऐसी गतिविधि नहीं जिसे पार्टी विरोधी कहा जा सके।
अनुशासन कमेटी पर भी उठाए सवाल
सिद्धू ने अनुशासन कमेटी व अन्य नेतृत्व पर आरोप लगाया कि हलके के कार्यकर्ताओं के साथ 15 मिनट की बैठक तो एक बहाना है। दरअसल कार्यक्रम पहले ही तय हो चुका था। कारण बताओ नोटिस के बाद उन्हें पार्टी से निष्कासन का नोटिस मिलेगा।
इसलिए अब वह न सिर्फ उपाध्यक्ष पद छोड़ रहे हैं, बल्कि पार्टी भी हमेशा के लिए छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं आजाद चुनाव लड़ने में भी सक्षम हूं, क्योंकि तलवंडी साबो, बठिंडा शहरी, बठिंडा ग्रामीण, मौर मंडी के कार्यकर्ता हमारे साथ हैं। सिद्धू ने कहा कि वह कल से जनता की अदालत में कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें शुरू कर रहे हैं ताकि अगला फैसला लिया जा सके।
शिअद से टिकट न मिलने पर आजाद लड़ चुके हैं चुनाव
जीत महिंदर सिंह सिद्धू शुरुआती समय में 1997 में शिरोमणि अकाली दल से चुनाव लड़े थे, मगर पहला ही चुनाव हार गए थे। इसके बाद अकाली दल की ओर से 2002 में उनको टिकट नहीं दिया गया तो वह तलवंडीसाबो से आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े और जीतने के बाद कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।
इसके बाद 2007 व 2012 में कांग्रेस पार्टी की ओर से उनको उम्मीदवार घोषित किया गया और वह दोनों ही बार चुनाव जीत गए। 2013 में वह अकाली दल में शामिल हुए। उपचुनाव में वह अकाली दल से चुनाव जीते। 2017 व 2022 के चुनाव अकाली दल से लड़े लेकिन दोनों ही बार हार गए।