नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि आधार अधिनियम जैसे कानूनों को धन विधेयक के तौर पर पारित कराने की वैधता के मुद्दे पर विचार करने के लिए वह सात जजों की पीठ गठित करेगा।
इस फैसले का मकसद धन विधेयक से जुड़े विवाद का समाधान करना है, क्योंकि सरकार ने आधार विधेयक और यहां तक कि प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट में संशोधनों को भी धन विधेयक के रूप में पेश किया था।जाहिर तौर पर इसका मकसद राज्यसभा को दरकिनार करना था, क्योंकि सरकार के पास उच्च सदन में बहुमत नहीं था।
धन विधेयक
धन विधेयक ऐसा विधेयक होता है जिसे केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है। राज्यसभा इसमें संशोधन या अस्वीकार नहीं कर सकती। उच्च सदन केवल सिफारिशें कर सकता है जिन्हें निचला सदन स्वीकार कर भी सकता है और नहीं भी।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि सात न्यायाधीशों की पीठ के सभी लंबित मामले प्रक्रियागत निर्देशों के लिए 12 अक्टूबर को सूचीबद्ध किए जाएंगे। इस मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए पीठ के समक्ष उल्लेख किया गया था।
नवंबर 2019 में शीर्ष अदालत की पांच जजों की पीठ ने वित्त अधिनियम, 2017 को धन विधेयक के रूप में पारित करने की वैधता की जांच के मुद्दे को बड़ी पीठ के पास भेज दिया था। तब पांच जजों की पीठ ने वित्त अधिनियम का हिस्सा बनने वाले विभिन्न न्यायाधिकरणों के सदस्यों की नियुक्ति और सेवा शर्तों को नियंत्रित करने वाले नियमों को पूरी तरह से रद कर दिया था।