बेंगलुरु। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने अनुसूचित जनजातियों के लिए बड़ी घोषणा की है। सीएम ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने अनुसूचित जनजातियों के कल्याण कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए एक अलग सचिवालय स्थापित करने का निर्णय लिया है।
सीएम ने ये घोषणा बीते दिन महर्षि वाल्मिकी जयंती कार्यक्रम के दौरान की।
आबादी अनुसार अनुदान आवंटित करने का निर्णय
सीएम ने कहा कि हमारे पिछले कार्यकाल के दौरान, बेलगावी सत्र में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को उनकी आबादी के अनुसार अनुदान आवंटित करने का निर्णय लिया गया था। इसलिए, एससीएसपी और टीएसपी योजनाओं के तहत अधिक धन खर्च किया जा सकता है। पहले, केवल 6 हजार अनुदान थे इन योजनाओं के तहत आवंटित किया गया, लेकिन हमारे पिछले कार्यकाल के दौरान यह राशि 6 हजार करोड़ से 30 करोड़ थी।
अनुसूचित जनजाति के लिए आवंटित राशि में वृद्धि
सीएम ने कहा,
पिछली सरकार ने इस राशि में वृद्धि नहीं की थी, लेकिन हमारी सरकार ने इस साल के बजट में इन श्रेणियों के लिए 34 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। अनुदान भी निर्धारित किया गया है।
राज्य में SC-ST की इतनी है आबादी
राज्य की कुल आबादी का 17.1 फीसदी हिस्सा एससी और 7 फीसदी हिस्सा एसटी वर्ग का है। सीएम ने बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसार, 24.1 प्रतिशत आबादी एससी और एसटी वर्ग की है।
सीएम सिद्धारमैया ने आगे कहा कि कर्नाटक को इस जनसंख्या के अनुसार एससी/एसटी श्रेणियों के कल्याण के लिए एक अलग अनुदान निर्धारित करने के लिए कानून लाने वाला पहला राज्य होने का गौरव प्राप्त है।
सीएम ने कहा कि कोई भी सरकार इस कानून को नहीं बदल सकती। इस कानून के बाद, 2013 से 2018 तक, हमारी सरकार ने एससी/एसटी लोगों के लिए कुल 88 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए। यह अनुदान जनसंख्या के इस आकार के लिए राज्य द्वारा अनिवार्य है।