बेंगलुरु। कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा है कि आवारा कुत्तों को खाना खिलाकर उनके प्रति सहानुभूति जनता के लिए अराजकता और खतरा पैदा करने की कीमत पर नहीं होनी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी वराले और जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की खंडपीठ ने पशु कल्याण बोर्ड के दिशानिर्देशों को लागू करने में राज्य सरकार की कथित देरी पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।
सरकार याचिका पर जवाब देने में देरी कर रही है।
पीठ ने कहा, ऐसे नागरिकों (कुत्ते को खिलाने वालों) का कर्तव्य बनता है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनकी गतिविधि अन्य नागरिकों के लिए बाधा या स्वास्थ्य खतरा उत्पन्न नहीं करेगी। हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार याचिका पर जवाब देने में देरी कर रही है।
पीठ ने सरकार को अपना व्यवहार सुधारने का निर्देश देते हुए जनहित याचिका पर आपत्तियां दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया। इसने चेतावनी दी गई कि अगर और देरी हुई तो अदालत को सरकार के खिलाफ आदेश जारी करना पड़ सकता है।