अयोध्या। नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में 15 से 24 जनवरी के बीच संयोजित प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के बीच रामलला की एक मूर्ति स्थापित की जाएगी, किंतु स्थापना के लिए तीन मूर्तियां निर्मित हो रही हैं। इसमें से जो श्रेष्ठतम होगी, उसे गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। इसी माह सात एवं आठ तारीख को प्रस्तावित रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में स्थापना के लिए श्रेष्ठतम मूर्ति का चयन किया जाएगा।
बैठक में यह भी तय किया जाएगा कि रामलला की बाकी दो मूर्तियां कहां स्थापित की जाएं। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुरोध पर तीन प्रसिद्ध मूर्तिकार अयोध्या में ही रामलला की मूर्ति गढ़ रहे हैं। मूर्तियां गढ़ने वाले मूर्तिकारों में कर्नाटक के गणेश भट्ट एवं अरुण योगीराज तथा राजस्थान के सत्यनारायण पांडेय हैं। गणेश भट्ट कर्नाटक की नेल्लिकारू चट्टान (काले पत्थरों) से मूर्ति बना रहे हैं।
नेल्लिकारू चट्टानों को श्याम शिला या कृष्ण शिला के रूप में भी जाना जाता है। उनका रंग भगवान राम एवं कृष्ण की तरह श्यामवर्णी है। मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज कर्नाटक से ही प्राप्त एक अन्य चट्टान से मूर्ति बना रहे हैं। यह चट्टान भी श्रीराम के अनुरूप श्यामवर्णी है। सत्यनारायण पांडेय मकराना के संगमरमर से रामलला की मूर्ति गढ़ रहे हैं।
ये तीनों मूर्तिकार अपने क्षेत्र के दिग्गज हैं। केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची और इंडिया गेट पर सुभाषचंद्र बोस की 28 फीट ऊंची जिस मूर्ति का गत वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनावरण किया, उनका निर्माण भी अरुण योगीराज ने ही किया है। वह प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज शिल्पी के पुत्र हैं और मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से हैं।
रामलला की मूर्ति मुंबई के प्रसिद्ध कलाकार वासुदेव कामथ द्वारा बनाए गए रेखाचित्र पर आधारित है। उन्होंने इसी वर्ष के आरंभ में रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को रामलला के पेंसिल से बने कुछ स्केच यानी रेखाचित्र भेंट किए थे। कर्नाटक के करकला नामक कस्बे में जन्मे कामथ मुंबई में पले-बढ़े। उनकी रामायण श्रृंखला की 28 पेंटिंग विश्व स्तर पर प्रशंसित हैं। कामथ पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक विषयों पर आधारित अपनी पेंटिंगों के लिए जाने जाते हैं।
दिव्यता-भगवत्ता के साथ पांच वर्षीय बालक के अनुरूप दिया जा रहा आकार
रामलला की जो मूर्ति निर्मित की जा रही है, वह 51 इंच ऊंची है। इसे श्रीराम की दिव्यता-भगवत्ता के साथ पांच वर्षीय बालक की कोमलता के अनुरूप आकार देने का प्रयास किया जा रहा है और जो मूर्ति रामलला की असीम गरिमा के निकटतम प्रतीत होगी, उसे गर्भगृह में स्थापित करने के लिए चुना जाएगा।