सुल्तानपुर। यूपी के सुल्तानपुर में डॉ. घनश्याम तिवारी की क्रूरतापूर्वक हत्या करने के मुख्य आरोपी को एसटीएफ सहित चार पुलिस टीमें 15 दिन में ढूंढ नहीं सकीं। सोमवार को उसने नाटकीय ढंग से चालक के साथ पयागीपुर पुलिस चौकी में आत्मसमर्पण कर दिया। हालांकि, पुलिस उसके सरेंडर करने की बात को दरकिनार कर गिरफ्तारी का दावा कर रही है।
मूलरूप से लंभुआ के सखौली गांव निवासी डॉ. घनश्याम तिवारी संविदा चिकित्सक थे। वह यहां पत्नी व इकलौते पुत्र के साथ शास्त्रीनगर मोहल्ले में किराए के मकान में रहते थे। उन्होंने नरायनपुर गांव के जगदीश नारायण सिंह से 25 लाख रुपये में एक बिस्वा भूमि घर बनाने के लिए खरीदी थी। जगदीश का बेटा अजय नारायण सिंह पांच लाख रुपए रंगदारी मांग रहा था। मना करने पर उसने धोखे से 23 सितंबर को बातचीत के लिए गांव में बुलाया। इसके बाद मरणासन्न कर डॉ. तिवारी को ई-रिक्शा से आवास पर भेज दिया। गंभीर हालत में उन्हें मेडिकल कॉलेज लाया गया, जहां कुछ ही देर में उन्होंने दम तोड़ दिया था।
इस मामले में पीड़ित पत्नी निशा तिवारी की तहरीर पर अजय नारायण व दो अज्ञात के खिलाफ नगर कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई थी। इस गंभीर घटना की गूंज शासन तक पहुंची। साथ ही विरोध प्रदर्शन भी हुआ। शिथिलता बरतने के आरोप में तत्कालीन नगर कोतवाल राम आशीष उपाध्याय को निलंबित किया जा चुका है। पीड़ित परिजन को लखनऊ बुलाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रभावी कार्रवाई व मदद का भरोसा दिया था। साथ ही उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बीते शुक्रवार को घर पहुंच पीड़ित परिजनों की मदद और कठोर कार्रवाई का आश्वासन दिया था।
पुलिस मामले में कुर्की की कवायद में जुटी थी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, सोमवार की दोपहर बाद करीब तीन बजे अजय नारायण वाहन चालक के साथ खुद ही पयागीपुर पुलिस चौकी पहुंच गया। उसे पुलिस कर्मियों ने अभिरक्षा में ले लिया।
पीड़ितों की तहरीर पर दर्ज हुई कई एफआईआर
शासन सख्त हुआ तो पीड़ितों को न्याय की आस जगी। इसके बाद अजय नारायण व उसके परिवारजन द्वारा की गई जुल्म की एक-एक कहानी उजागर होने लगी। रंगदारी, धमकी, सरकारी संपत्ति पर कब्जा समेत अन्य मामलों में करीब छह एफआइआर दर्ज कराई गई है।