लखनऊ। चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी गई है। प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के इन चिकित्सकों को 62 साल की उम्र पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प दिया जाएगा। अगर वह प्रशासनिक पद छोड़कर अस्पतालों में चिकित्सक के रूप में काम करने के इच्छुक होंगे तो तीन साल और अपनी सेवाएं दे सकेंगे।
लेवल एक से लेकर लेवल चार तक यानी संयुक्त निदेशक स्तर तक के अधिकारियों की सशर्त सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाई गई है। वहीं लेवल पांच से लेवल सात तक के अपर निदेशक, निदेशक व महानिदेशक स्तर के अधिकारी 62 साल पर ही रिटायर हो जाएंगे।
प्रशासनिक पद छोड़ने पर मिलेगा अवसर
लेवल चार के संयुक्त निदेशक ग्रेड के जिन चिकित्सा अधिकारियों को प्रशासनिक पद छोड़ने पर 65 साल की आयु तक सेवाएं देने का अवसर मिलेगा, उसमें मुख्य चिकित्साधिकारी, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी, जिला क्षय रोग अधिकारी, प्रधानाचार्य (ट्रेनिंग सेंटर), जिला कुष्ठ रोग अधिकारी और नगर स्वास्थ्य अधिकारी शामिल हैं।
इन पदों पर नहीं बढ़ाई गई सेवानिवृत्ति की सीमा
वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक पदों के सापेक्ष कार्य कर रहे लेवल पांच स्तर के अपर निदेशक, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक व मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी, इसी तरह लेवल छह स्तर के निदेशक और लेवल सात स्तर के महानिदेशक पद पर कार्यरत अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की आयु नहीं बढ़ाई गई है। यह 62 वर्ष की उम्र पर ही रिटायर हो जाएंगे। इनकी सेवानिवृत्ति की आयु इसलिए नहीं बढ़ाई गई क्योंकि अस्पतालों में इन्हें अपने से कनिष्ठ अधिकारियों के अधीन कार्य करना होगा जो कि उचित नहीं है।
2001, 2017 में बढ़ाई गई थी आयु सीमा
पीएमएस संवर्ग के चिकित्सकों की इससे पहले 28 नवंबर 2001 को सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष की गई थी और उसके बाद 31 मई 2017 को 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष की गई थी। उस समय चिकित्सकों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प नहीं दिया गया था।
इन्होंने कहा…
प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के अध्यक्ष डॉ. सचिन वैश्य व महामंत्री डॉ. अमित सिंह ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प दिए जाने पर सरकार का आभार जताया है। वहीं पदोन्नति किए जाने व विशेष सुनिश्चित करियर प्रोन्नयन (एसएसीपी) भी जल्द देने की मांग की है।