नई दिल्ली। पूरा देश आज लाल बहादुर शास्त्री जी को याद कर रहा है। वह भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे और व्यवहार से काफी एक विनम्र और समर्पित नेता थे। उन्हें आज भी उनकी सरल जीवनशैली, ईमानदारी और निष्ठा के लिए याद किया जाता है। शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। एक गरीब परिवार में जन्मे शास्त्री जी के पिता देहांत तब हुआ था, जब वह सिर्फ डेढ़ साल के थे। उनकी मां ने बड़ी कठिनाई से उन्हें और उनके दो भाई-बहनों का पालन-पोषण किया।
शास्त्री जी एक प्रतिभाशाली और महत्वाकांक्षी छात्र थे, जिन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर वाराणसी के एक राष्ट्रवादी विश्वविद्यालय काशी विद्यापीठ से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। वह महात्मा गांधी की शिक्षाओं से काफी प्रभावित थे और साल 1921 में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। शास्त्री जी की जयंती पर आज जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ जरूरी बातें-
शास्त्री जी के जीवन से जुड़ी अहम बातें-
अहिंसक विरोध प्रदर्शन और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में भाग लेने के लिए शास्त्री जी को अंग्रेजों द्वारा कई बार कैद किया गया था। इतना ही नहीं उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
साल 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद शास्त्री ने उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन और रेलवे मंत्री के रूप में कार्य किया था। इसके बाद वह साल 1952 में भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा के लिए चुने गए।
इसके अलावा उन्होंने साल 1951 में केंद्र सरकार में रेल मंत्री और साल 1956 में वाणिज्य और उद्योग मंत्री के रूप में भी कार्य किया है।
साल 1961 में, शास्त्री को भारत के गृह मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। इस दौरान उन्होंने भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के संवेदनशील मुद्दे को बड़ी कुशलता और कूटनीति से संभाला। साथ ही उन्होंने 1961 में पुर्तगाली शासन से गोवा की मुक्ति में भी अहम भूमिका निभाई थी।
1964 में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद उन्हें शास्त्री को सर्वसम्मति से प्रधानमंत्री के पद के लिए चुना गया। उन्होंने 9 जून, 1964 से 11 जनवरी, 1966 तक भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।
प्रधानमंत्री रहते हुए शास्त्रीजी ने कई चुनौतियों का सामना किया, जिनमें 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध और देश में भीषण सूखा शामिल था। इसके अलावा उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था और कृषि को बढ़ावा देने के लिए हरित क्रांति समेत कई पहल शुरू कीं।
शास्त्री जी एक लोकप्रिय एवं सम्मानित नेता थे। हालांकि, 11 जनवरी, 1966 को देश ने इस महान शख्सियत को खो दिया। पाकिस्तान के साथ एक शांति शिखर सम्मेलन में भाग लेने के दौरान ताशकंद, उज्बेकिस्तान में उनकी मृत्यु हो गई। हालाकिं, उन्हें आज भी देश के इतिहास के सबसे महान प्रधानमंत्रियों में से एक के रूप में याद किया जाता है।