नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (31 अक्टूबर) को जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को लेकर बड़ा कदम उठाया। शीर्ष कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम यानी UAPA के विभिन्न प्रविधानों को चुनौती देने वाली खालिद की याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा कि कोर्ट इस मुद्दे पर इन जैसी याचिकाओं पर 22 नवंबर को सुनवाई करेगा। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि वह फरवरी 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के पीछे की साजिश में कथित संलिप्तता को लेकर यूएपीए के तहत दर्ज मामले में जमानत की मांग करने वाली खालिद की याचिका पर भी उसी तारीख को सुनवाई करेगी।
हम सभी याचिकाओं को एक साथ सुनेंगे- पीठ
पीठ ने कहा, “हम सभी याचिकाओं को एक साथ सुनेंगे।” बता दें कि उमर खालिद, शरजील इमाम और कई अन्य पर फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के “मास्टरमाइंड” होने के आरोप लगा था, जिसके लिए उनपर आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत केस दर्ज किया गया था। दिल्ली दंगों में 53 लोग मारे गए और 700 से ज्यादा घायल हो गए थे।
खालिद ने इस आधार पर मांगी कोर्ट से जमानत
उमर खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था। खालिद ने कोर्ट से इस आधार पर जमानत मांगी है कि हिंसा में उनकी न तो कोई आपराधिक भूमिका थी और न ही केस में किसी अन्य आरोपी के साथ कोई षड्यंत्रकारी संबंध था।